जगदीश महतो (Hindi Wikipedia)

Analysis of information sources in references of the Wikipedia article "जगदीश महतो" in Hindi language version.

refsWebsite
Global rank Hindi rank
585th place
4th place
1st place
1st place
low place
562nd place
low place
low place

forwardpress.in

google.co.in

books.google.co.in

  • Samaddar, Ranbir (2019). From popular movement to rebellion:The Naxalite dacade. New york: Routledge. पृ॰ 317,318. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-367-13466-2. अभिगमन तिथि 2020-05-30.
  • ISSN-2688-9374(online)Journal,Jyotsana Yagnik, A.Prasad (2016). "Liberal studies vol.1 issue 1". Gujrat. पृ॰ 44. अभिगमन तिथि 2020-05-30.

marginalised.in

  • मंगलमूर्ति, बालेन्दुशेखर (2020-06-16). "एकवरिया: भोजपुर जिले का वो गाँव, जिसने मध्य बिहार की हरित क्रांति को लाल क्रांति में बदल दिया". मूल से 8 सितंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 जून 2020. भोजपुर में छठे दशक में समाजवादी आन्दोलन का जबरदस्त प्रचार प्रसार हुआ. इनका समर्थन वर्ग माध्यम वर्ग की तीन जातियों- अहीर उर्फ़ यादव, कोइरी और कुर्मी के बीच था. ये वही वर्ग था ( भूमिहारों का भी एक बड़ा तबका था, पर वो समाजवादी आन्दोलन के समर्थन में नहीं था) जिसे जमींदारी उन्मूलन से मुख्य तौर पर फायदा पहुंचा था. संख्या बल में भी अधिक थे नतीजा ये हुआ कि 1967 के विधान सभा चुनावों में शाहाबाद जिले में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी 7 सीटें जीतने में कामयाब रही. यादव, कुर्मी और कोइरी जाति के पढ़े लिखे युवक अब ऊँची जातियों के अपमानजनक व्यवहार सहने के लिए तैयार नहीं थे.

web.archive.org

  • रंजन, प्रमोद (2020-06-16). "साहित्य में त्रिवेणी संघ और त्रिवेणी संघ का साहित्य". मूल से 5 जून 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 जून 2020.
  • मंगलमूर्ति, बालेन्दुशेखर (2020-06-16). "एकवरिया: भोजपुर जिले का वो गाँव, जिसने मध्य बिहार की हरित क्रांति को लाल क्रांति में बदल दिया". मूल से 8 सितंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 जून 2020. भोजपुर में छठे दशक में समाजवादी आन्दोलन का जबरदस्त प्रचार प्रसार हुआ. इनका समर्थन वर्ग माध्यम वर्ग की तीन जातियों- अहीर उर्फ़ यादव, कोइरी और कुर्मी के बीच था. ये वही वर्ग था ( भूमिहारों का भी एक बड़ा तबका था, पर वो समाजवादी आन्दोलन के समर्थन में नहीं था) जिसे जमींदारी उन्मूलन से मुख्य तौर पर फायदा पहुंचा था. संख्या बल में भी अधिक थे नतीजा ये हुआ कि 1967 के विधान सभा चुनावों में शाहाबाद जिले में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी 7 सीटें जीतने में कामयाब रही. यादव, कुर्मी और कोइरी जाति के पढ़े लिखे युवक अब ऊँची जातियों के अपमानजनक व्यवहार सहने के लिए तैयार नहीं थे.