समाधि साधना के लिए इंद्रियों पर काबू होना चाहिए, Apna Hindustan, http://jain.apnahindustan.com/?p=2204[मृत कड़ियाँ], मुनि श्री प्रत्यक्ष सागर जी महाराज के गृहस्थ जीवन के नाना पं. पन्नालाल जी साहित्याचार्य थे।
संस्कृत भाषा के संरक्षण और संवर्धन की आवश्यकता है : ब्रह्मचारी डी. राकेश भैया, साहित्याचार्य डॉ. पंडित पन्नालाल जैन की 103वीं जन्म जयंती पर कटरा नमकमंडी स्थित कीर्ति स्तंभ के समीप प्रतिमा स्थल पर कार्यक्रम हुआ।Bhaskar News Network, 6 March 2014, http://www.bhaskar.com/article-srh/MAT-MP-SAG-c-25-380563-NOR.htmlArchived 2014-03-08 at the वेबैक मशीन
संस्कृत भाषा के संरक्षण और संवर्धन की आवश्यकता है : ब्रह्मचारी डी. राकेश भैया, साहित्याचार्य डॉ. पंडित पन्नालाल जैन की 103वीं जन्म जयंती पर कटरा नमकमंडी स्थित कीर्ति स्तंभ के समीप प्रतिमा स्थल पर कार्यक्रम हुआ।Bhaskar News Network, 6 March 2014, http://www.bhaskar.com/article-srh/MAT-MP-SAG-c-25-380563-NOR.htmlArchived 2014-03-08 at the वेबैक मशीन
समाधि साधना के लिए इंद्रियों पर काबू होना चाहिए, Apna Hindustan, http://jain.apnahindustan.com/?p=2204[मृत कड़ियाँ], मुनि श्री प्रत्यक्ष सागर जी महाराज के गृहस्थ जीवन के नाना पं. पन्नालाल जी साहित्याचार्य थे।