Analysis of information sources in references of the Wikipedia article "रामभद्राचार्य" in Hindi language version.
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ignored (मदद)श्री लक्ष्मी नारायण मन्दिर में सुप्रसिद्ध मानस मर्मज्ञ जगतगुरु रामभद्राचार्य जी राकेश के मानपत्र देके सम्मानित कइले।
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के एक से अधिक मान दिए गए हैं (मदद); |first1=
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के एक से अधिक मान दिए गए हैं (मदद)The choice of the subtitle is no exaggeration. The book is indeed the Bible of Northern India
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के एक से अधिक मान दिए गए हैं (मदद); |first1=
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के एक से अधिक मान दिए गए हैं (मदद)आश्चर्यजनक तथ्य: अंग्रेज़ी, फ्रांसीसी और अनेक भारतीय भाषाओं सहित २२ भाषाओं का ज्ञान
डीवीडी संख्या ८, भाग १, समय ००:५०:२०।
लवकुशकाण्ड सहित
The Fourth Convocation of the Vidyapeetha was organized on 11th of February, 2000. ... Honorary title of Mahamahopadhyaya was conferred on Shri Swami Rambhadracharya (U.P.), ... by the Chancellor. (११ फ़रवरी २००० को विद्यापीठ का चतुर्थ दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया। कुलाधिपति द्वारा ... श्री स्वामी रामभद्राचार्य, उत्तर प्रदेश, को महामहोपाध्याय की मानद उपाधि प्रदान की गई। )
Swami Rambhadracharya, ..., is a celebrated Sanskrit scholar and educationist of great merit and achievement. ... His academic accomplishments are many and several prestigious Universities have conferred their honorary degrees on him. A polyglot, he has composed poems in many Indian languages. He has also authored about 75 books on diverse themes having a bearing on our culture, heritage, traditions and philosophy which have received appreciation. A builder of several institutions, he started the Vikalanga Vishwavidyalaya at Chitrakoot, of which he is the lifelong Chancellor. (स्वामी रामभद्राचार्य, ...., बहुमुखी प्रतिभा और उपलब्धियों के धनी एक प्रतिष्ठित संस्कृत विद्वान् और शिक्षाविद् हैं। ... आपकी अनेक शैक्षणिक उपलब्धियाँ हैं और कईं माननीय विश्वविद्यालयों ने आपको मानद उपाधियाँ प्रदान की हैं। आप एक बहुभाषाविद् हैं और आपने अनेक भारतीय भाषाओं में काव्य रचे हैं। आपने विविध विषयवस्तु वाली ७५ पुस्तकें रची हैं, जिन्होंने हमारी संस्कृति, धरोहर और परम्पराओं पर छाप छोड़ी है और जिन्हें सम्मान प्राप्त हुआ है। आपने कई संस्थानों के साथ चित्रकूट में विकलांग विश्वविद्यालय की स्थापना की है, जिसके आप आजीवन कुलाधिपति हैं।)
Swami Rambhadracharya, ..., is a celebrated Sanskrit scholar and educationist of great merit and achievement. ... His academic accomplishments are many and several prestigious Universities have conferred their honorary degrees on him. A polyglot, he has composed poems in many Indian languages. He has also authored about 75 books on diverse themes having a bearing on our culture, heritage, traditions and philosophy which have received appreciation. A builder of several institutions, he started the Vikalanga Vishwavidyalaya at Chitrakoot, of which he is the lifelong Chancellor. (स्वामी रामभद्राचार्य, ...., बहुमुखी प्रतिभा और उपलब्धियों के धनी एक प्रतिष्ठित संस्कृत विद्वान् और शिक्षाविद् हैं। ... आपकी अनेक शैक्षणिक उपलब्धियाँ हैं और कईं माननीय विश्वविद्यालयों ने आपको मानद उपाधियाँ प्रदान की हैं। आप एक बहुभाषाविद् हैं और आपने अनेक भारतीय भाषाओं में काव्य रचे हैं। आपने विविध विषयवस्तु वाली ७५ पुस्तकें रची हैं, जिन्होंने हमारी संस्कृति, धरोहर और परम्पराओं पर छाप छोड़ी है और जिन्हें सम्मान प्राप्त हुआ है। आपने कई संस्थानों के साथ चित्रकूट में विकलांग विश्वविद्यालय की स्थापना की है, जिसके आप आजीवन कुलाधिपति हैं।)
आश्चर्यजनक तथ्य: अंग्रेज़ी, फ्रांसीसी और अनेक भारतीय भाषाओं सहित २२ भाषाओं का ज्ञान
प्रख्यात राम कथावाचक स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि ...
श्री लक्ष्मी नारायण मन्दिर में सुप्रसिद्ध मानस मर्मज्ञ जगतगुरु रामभद्राचार्य जी राकेश के मानपत्र देके सम्मानित कइले।
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ignored (मदद)डीवीडी संख्या ८, भाग १, समय ००:५०:२०।
तुलसीदास ने माना है कि यदि कोई व्यक्ति छह मास तक पयस्विनी के किनारे रहता है और केवल फल खाकर राम नाम जपता रहता है, तो उसे सभी तरह की सिद्धियां मिल जाती हैं।
हरिद्वार से आये आचार्य चंद्र दत्त सुवेदी ने कहा कि प्रस्थानत्रयी पर सबसे पहले भाष्य आचार्य शंकर ने लिखा और अब वल्लभाचार्य के छह सौ [sic] साल बाद जगद्गुरु स्वामी राम भद्राचार्य जी ने लिखा।
The choice of the subtitle is no exaggeration. The book is indeed the Bible of Northern India
लवकुशकाण्ड सहित
The Fourth Convocation of the Vidyapeetha was organized on 11th of February, 2000. ... Honorary title of Mahamahopadhyaya was conferred on Shri Swami Rambhadracharya (U.P.), ... by the Chancellor. (११ फ़रवरी २००० को विद्यापीठ का चतुर्थ दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया। कुलाधिपति द्वारा ... श्री स्वामी रामभद्राचार्य, उत्तर प्रदेश, को महामहोपाध्याय की मानद उपाधि प्रदान की गई। )
प्रख्यात राम कथावाचक स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि ...
तुलसीदास ने माना है कि यदि कोई व्यक्ति छह मास तक पयस्विनी के किनारे रहता है और केवल फल खाकर राम नाम जपता रहता है, तो उसे सभी तरह की सिद्धियां मिल जाती हैं।
हरिद्वार से आये आचार्य चंद्र दत्त सुवेदी ने कहा कि प्रस्थानत्रयी पर सबसे पहले भाष्य आचार्य शंकर ने लिखा और अब वल्लभाचार्य के छह सौ [sic] साल बाद जगद्गुरु स्वामी राम भद्राचार्य जी ने लिखा।