सुभाष चन्द्र बोस (Hindi Wikipedia)

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  • An Introduction to Military Science. पृ॰ ४. अभिगमन तिथि २३ जनवरी २०१८.

india.com

zeenews.india.com

  • "Netaji's ashes should be immersed in River Ganges, wishes daughter" [नेताजी की अस्थियाँ गंगा नदी में विसर्जित की जायँ - पुत्री की इच्छा] (अंग्रेज़ी में). जी न्यूज़ इण्डिया डॉट कॉम. 03 फ़रवरी 2013. मूल से 17 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 अक्टूबर 2013. |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)

indiatimes.com

economictimes.indiatimes.com

  • "Netaji Subhas Chandra Bose's family observes 'Declassification Day'". The Economics Times. 18 अगस्त 2003. मूल से 6 अप्रैल 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 अगस्त 2013. So far, we have never observed the day as we don't believe that he died on August 18. There is circumstantial evidence to prove that he was in Russia after that date in 1945. But now we have started observing this day as declassification day to put pressure on the government to make public the hidden files on his life, the family spokesperson Chandra Kumar Bose told PTI.

hindi.economictimes.indiatimes.com

  • "नेताजी सुभाष : हाई कोर्ट की स्पेशल बेंच करेगी सुनवाई". नवभारत टाइम्स. 17 जनवरी 2014. मूल से 1 फ़रवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 जनवरी 2014. याचिका में नेताजी से जुड़े सभी दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की मांग की गई है, ताकि उनके लापता होने को लेकर पैदा रहस्य से पर्दा उठ सके। पीएम ऑफिस ने इससे पहले नेताजी के लापता होने से जुड़े दस्तावेजों और रिकॉर्ड सार्वजनिक करने से इनकार किया था और कहा था कि ऐसा करने से भारत के अन्य देशों के साथ संबंध प्रभावित होंगे।

jagatgururampalji.org

news.jagatgururampalji.org

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theindianwire.com

hindi.theindianwire.com

web.archive.org

  • ": सुभास चन्द्र बोस निबंध". मूल से 23 सितंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 जनवरी 2014.
  • "'नेताजी की हत्या का आदेश दिया था'". बीबीसी हिन्दी. 15 अगस्त 2005. मूल से 23 मई 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 अक्टूबर 2013. एक आयरिश इतिहासकार यूनन ओ हैल्पिन का कहना है कि जब नेताजी ने जापान और जर्मनी से मदद लेने की कोशिश की थी तो ब्रितानी सरकार ने उन्हें खत्म करने का आदेश दिया था।
  • क्रान्त, मदनलाल वर्मा (2006). स्वाधीनता संग्राम के क्रान्तिकारी साहित्य का इतिहास. 2 (1 संस्करण). नई दिल्ली: प्रवीण प्रकाशन. पृ॰ 512. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-7783-120-8. मूल से 14 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. मैं जानता हूँ कि ब्रिटिश सरकार भारत की स्वाधीनता की माँग कभी स्वीकार नहीं करेगी। मैं इस बात का कायल हो चुका हूँ कि यदि हमें आज़ादी चाहिए तो हमें खून के दरिया से गुजरने को तैयार रहना चाहिये। अगर मुझे उम्मीद होती कि आज़ादी पाने का एक और सुनहरा मौका अपनी जिन्दगी में हमें मिलेगा तो मैं शायद घर छोड़ता ही नहीं। मैंने जो कुछ किया है अपने देश के लिये किया है। विश्व में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाने और भारत की स्वाधीनता के लक्ष्य के निकट पहुँचने के लिये किया है। भारत की स्वाधीनता की आखिरी लड़ाई शुरू हो चुकी है। आज़ाद हिन्द फौज़ के सैनिक भारत की भूमि पर सफलतापूर्वक लड़ रहे हैं। हे राष्ट्रपिता! भारत की स्वाधीनता के इस पावन युद्ध में हम आपका आशीर्वाद और शुभ कामनायें चाहते हैं।
  • https://hindi.theindianwire.com/नेताजी-सुभाष-चंद्र-बोस-मौत-18073/ Archived 2018-04-06 at the वेबैक मशीन द इंडियन वायर
  • "Netaji Subhas Chandra Bose's family observes 'Declassification Day'". The Economics Times. 18 अगस्त 2003. मूल से 6 अप्रैल 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 अगस्त 2013. So far, we have never observed the day as we don't believe that he died on August 18. There is circumstantial evidence to prove that he was in Russia after that date in 1945. But now we have started observing this day as declassification day to put pressure on the government to make public the hidden files on his life, the family spokesperson Chandra Kumar Bose told PTI.
  • "नेताजी सुभाष : हाई कोर्ट की स्पेशल बेंच करेगी सुनवाई". नवभारत टाइम्स. 17 जनवरी 2014. मूल से 1 फ़रवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 जनवरी 2014. याचिका में नेताजी से जुड़े सभी दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की मांग की गई है, ताकि उनके लापता होने को लेकर पैदा रहस्य से पर्दा उठ सके। पीएम ऑफिस ने इससे पहले नेताजी के लापता होने से जुड़े दस्तावेजों और रिकॉर्ड सार्वजनिक करने से इनकार किया था और कहा था कि ऐसा करने से भारत के अन्य देशों के साथ संबंध प्रभावित होंगे।
  • "Subhas Chandra Bose - Biography & Facts". Encyclopedia Britannica (अंग्रेज़ी में). २ नवम्बर २०१७. मूल से 23 जनवरी 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २३ जनवरी २०१८.
  • क्रान्त, मदनलाल वर्मा (2006). स्वाधीनता संग्राम के क्रान्तिकारी साहित्य का इतिहास. 2 (1 संस्करण). नई दिल्ली: प्रवीण प्रकाशन. पृ॰ 501 से 503 तक. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-7783-120-8. मूल से 14 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. भइया! हम लोग, जो एक ओर स्वामी विवेकानन्द और दूसरी ओर अरविन्द घोष के प्रभाव-छत्र में बड़े हुए हैं; भाग्य या दुर्भाग्य से ऐसी मानसिकताबना चुके हैं कि ध्रुवों जैसे भिन्न दृष्टिकोणों पर लदा कोई समझौता हमें स्वीकार नहीं है। उन्होंने इस बात के लिये खेद भी प्रकट किया कि उनके और मात्र उनके कारण भरे पूरे समंजित परिवार में मतभेद पैदा हो चुके हैं। इसका कारण उन्होंने यह बताया कि बचपन से ही कुछ ऐसे आदर्श उनके दिलो-दिमाग पर हावी हो चुके हैं जो परिवार के किसी दूसरे व्यक्ति को मंजूर नहीं हैं।
  • क्रान्त, मदनलाल वर्मा (2006). स्वाधीनता संग्राम के क्रान्तिकारी साहित्य का इतिहास. 3 (1 संस्करण). नई दिल्ली: प्रवीण प्रकाशन. पृ॰ 862. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-7783-121-6. मूल से 14 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 नवम्बर 2013. नेताजी का एमिली के साथ सन् 1936 का एक और दुर्लभ चित्र जिसमें नेताजी टोपी लगाये हुए हैं
  • "Netaji's ashes should be immersed in River Ganges, wishes daughter" [नेताजी की अस्थियाँ गंगा नदी में विसर्जित की जायँ - पुत्री की इच्छा] (अंग्रेज़ी में). जी न्यूज़ इण्डिया डॉट कॉम. 03 फ़रवरी 2013. मूल से 17 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 अक्टूबर 2013. |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  • क्रान्त, मदनलाल वर्मा (2006). स्वाधीनता संग्राम के क्रान्तिकारी साहित्य का इतिहास. 2 (1 संस्करण). नई दिल्ली: प्रवीण प्रकाशन. पृ॰ 510 से 511 तक. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-7783-120-8. मूल से 14 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 नवम्बर 2013. उन्होंने घोषणा की कि अब भारत के पास सुनहरा मौका है उसे अपनी मुक्ति के लिये अभियान तेज कर देना चहिये। ८ सितम्बर १९३९ को युद्ध के प्रति पार्टी का रुख तय करने के लिये सुभाष को विशेष आमन्त्रित के रूप में काँग्रेस कार्य समिति में बुलाया गया। उन्होंने अपनी राय के साथ यह संकल्प भी दोहराया कि अगर काँग्रेस यह काम नहीं कर सकती है तो फॉरवर्ड ब्लॉक अपने दम पर ब्रिटिश राज के खिलाफ़ युद्ध शुरू कर देगा। जुलाई १९४० में 'हालवेट स्तम्भ' जो भारत की गुलामी का प्रतीक था, के इर्द-गिर्द सुभाष की यूथ ब्रिगेड के स्वयंसेवक भारी मात्रा में एकत्र हुए और देखते-देखते वह स्तम्भ मिट्टी में मिला दिया। स्वयंसेवक उसकी नींव तक की एक-एक ईंट तक उखाड़ ले गये। यह तो एक प्रतीकात्मक शुरुआत थी। इसके माध्यम से सुभाष ने यह सन्देश दिया कि जैसे उन्होंने यह स्तम्भ धूल में मिला दिया है उसी तरह वे ब्रिटिश साम्राज्य की भी ईंट-से-ईंट बजा देंगे।
  • क्रान्त, मदनलाल वर्मा (2006). स्वाधीनता संग्राम के क्रान्तिकारी साहित्य का इतिहास. 2 (1 संस्करण). नई दिल्ली: प्रवीण प्रकाशन. पृ॰ 513. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-7783-120-8. मूल से 14 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 नवम्बर 2013. 23 अगस्त 1945 को टोकियो रेडियो ने बताया कि सैगोन में नेताजी एक बड़े बमवर्षक विमान से आ रहे थे कि 18 अगस्त को ताइहोकू हवाई अड्डे के पास उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान में उनके साथ सवार जापानी जनरल शोदेई, पाइलेट तथा कुछ अन्य लोग मारे गये। नेताजी गम्भीर रूप से जल गये थे। उन्हें ताइहोकू सैनिक अस्पताल ले जाया गया जहाँ उन्होंने दम तोड़ दिया। कर्नल हबीबुर्रहमान के अनुसार उनका अन्तिम संस्कार ताइहोकू में ही कर दिया गया। सितम्बर के मध्य में उनकी अस्थियाँ संचित करके टोकियो के रैंकोजी मन्दिर में रख दी गयीं।
  • क्रान्त, मदनलाल वर्मा (2006). स्वाधीनता संग्राम के क्रान्तिकारी साहित्य का इतिहास. 3 (1 संस्करण). नई दिल्ली: प्रवीण प्रकाशन. पृ॰ 846. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-7783-121-6. मूल से 14 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 नवम्बर 2013. Ten minutes after the accident he was taken to the Army Hosptal in Taihoku and received treatment at 15.00. His death came at 21.00. His aide H.R. was also burned on neck, right cheak, both arms and right leg. Lt. Gen. SHIDEI met an instantaneous death inside the plane (two others died likewise).

worldcat.org

  • क्रान्त, मदनलाल वर्मा (2006). स्वाधीनता संग्राम के क्रान्तिकारी साहित्य का इतिहास. 2 (1 संस्करण). नई दिल्ली: प्रवीण प्रकाशन. पृ॰ 512. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-7783-120-8. मूल से 14 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. मैं जानता हूँ कि ब्रिटिश सरकार भारत की स्वाधीनता की माँग कभी स्वीकार नहीं करेगी। मैं इस बात का कायल हो चुका हूँ कि यदि हमें आज़ादी चाहिए तो हमें खून के दरिया से गुजरने को तैयार रहना चाहिये। अगर मुझे उम्मीद होती कि आज़ादी पाने का एक और सुनहरा मौका अपनी जिन्दगी में हमें मिलेगा तो मैं शायद घर छोड़ता ही नहीं। मैंने जो कुछ किया है अपने देश के लिये किया है। विश्व में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाने और भारत की स्वाधीनता के लक्ष्य के निकट पहुँचने के लिये किया है। भारत की स्वाधीनता की आखिरी लड़ाई शुरू हो चुकी है। आज़ाद हिन्द फौज़ के सैनिक भारत की भूमि पर सफलतापूर्वक लड़ रहे हैं। हे राष्ट्रपिता! भारत की स्वाधीनता के इस पावन युद्ध में हम आपका आशीर्वाद और शुभ कामनायें चाहते हैं।
  • क्रान्त, मदनलाल वर्मा (2006). स्वाधीनता संग्राम के क्रान्तिकारी साहित्य का इतिहास. 2 (1 संस्करण). नई दिल्ली: प्रवीण प्रकाशन. पृ॰ 501 से 503 तक. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-7783-120-8. मूल से 14 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. भइया! हम लोग, जो एक ओर स्वामी विवेकानन्द और दूसरी ओर अरविन्द घोष के प्रभाव-छत्र में बड़े हुए हैं; भाग्य या दुर्भाग्य से ऐसी मानसिकताबना चुके हैं कि ध्रुवों जैसे भिन्न दृष्टिकोणों पर लदा कोई समझौता हमें स्वीकार नहीं है। उन्होंने इस बात के लिये खेद भी प्रकट किया कि उनके और मात्र उनके कारण भरे पूरे समंजित परिवार में मतभेद पैदा हो चुके हैं। इसका कारण उन्होंने यह बताया कि बचपन से ही कुछ ऐसे आदर्श उनके दिलो-दिमाग पर हावी हो चुके हैं जो परिवार के किसी दूसरे व्यक्ति को मंजूर नहीं हैं।
  • क्रान्त, मदनलाल वर्मा (2006). स्वाधीनता संग्राम के क्रान्तिकारी साहित्य का इतिहास. 3 (1 संस्करण). नई दिल्ली: प्रवीण प्रकाशन. पृ॰ 862. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-7783-121-6. मूल से 14 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 नवम्बर 2013. नेताजी का एमिली के साथ सन् 1936 का एक और दुर्लभ चित्र जिसमें नेताजी टोपी लगाये हुए हैं
  • क्रान्त, मदनलाल वर्मा (2006). स्वाधीनता संग्राम के क्रान्तिकारी साहित्य का इतिहास. 2 (1 संस्करण). नई दिल्ली: प्रवीण प्रकाशन. पृ॰ 510 से 511 तक. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-7783-120-8. मूल से 14 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 नवम्बर 2013. उन्होंने घोषणा की कि अब भारत के पास सुनहरा मौका है उसे अपनी मुक्ति के लिये अभियान तेज कर देना चहिये। ८ सितम्बर १९३९ को युद्ध के प्रति पार्टी का रुख तय करने के लिये सुभाष को विशेष आमन्त्रित के रूप में काँग्रेस कार्य समिति में बुलाया गया। उन्होंने अपनी राय के साथ यह संकल्प भी दोहराया कि अगर काँग्रेस यह काम नहीं कर सकती है तो फॉरवर्ड ब्लॉक अपने दम पर ब्रिटिश राज के खिलाफ़ युद्ध शुरू कर देगा। जुलाई १९४० में 'हालवेट स्तम्भ' जो भारत की गुलामी का प्रतीक था, के इर्द-गिर्द सुभाष की यूथ ब्रिगेड के स्वयंसेवक भारी मात्रा में एकत्र हुए और देखते-देखते वह स्तम्भ मिट्टी में मिला दिया। स्वयंसेवक उसकी नींव तक की एक-एक ईंट तक उखाड़ ले गये। यह तो एक प्रतीकात्मक शुरुआत थी। इसके माध्यम से सुभाष ने यह सन्देश दिया कि जैसे उन्होंने यह स्तम्भ धूल में मिला दिया है उसी तरह वे ब्रिटिश साम्राज्य की भी ईंट-से-ईंट बजा देंगे।
  • क्रान्त, मदनलाल वर्मा (2006). स्वाधीनता संग्राम के क्रान्तिकारी साहित्य का इतिहास. 2 (1 संस्करण). नई दिल्ली: प्रवीण प्रकाशन. पृ॰ 513. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-7783-120-8. मूल से 14 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 नवम्बर 2013. 23 अगस्त 1945 को टोकियो रेडियो ने बताया कि सैगोन में नेताजी एक बड़े बमवर्षक विमान से आ रहे थे कि 18 अगस्त को ताइहोकू हवाई अड्डे के पास उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान में उनके साथ सवार जापानी जनरल शोदेई, पाइलेट तथा कुछ अन्य लोग मारे गये। नेताजी गम्भीर रूप से जल गये थे। उन्हें ताइहोकू सैनिक अस्पताल ले जाया गया जहाँ उन्होंने दम तोड़ दिया। कर्नल हबीबुर्रहमान के अनुसार उनका अन्तिम संस्कार ताइहोकू में ही कर दिया गया। सितम्बर के मध्य में उनकी अस्थियाँ संचित करके टोकियो के रैंकोजी मन्दिर में रख दी गयीं।
  • क्रान्त, मदनलाल वर्मा (2006). स्वाधीनता संग्राम के क्रान्तिकारी साहित्य का इतिहास. 3 (1 संस्करण). नई दिल्ली: प्रवीण प्रकाशन. पृ॰ 846. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-7783-121-6. मूल से 14 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 नवम्बर 2013. Ten minutes after the accident he was taken to the Army Hosptal in Taihoku and received treatment at 15.00. His death came at 21.00. His aide H.R. was also burned on neck, right cheak, both arms and right leg. Lt. Gen. SHIDEI met an instantaneous death inside the plane (two others died likewise).